काव्यवेणा
Sayali Pilankar's Blog....
शुक्रवार, २८ नोव्हेंबर, २०१४
परछाई
उजालेमे आइनेमे दिख रही है
हर किसीको हर किसीकी तस्वीर
जैसे उसे दिखाई गयी हो,
और अकेलेमे
हर कोई भाग रहा है
अपनीही परछाईसे ...
परछाई जो है
उसके अंतर्मनसी
भारी
गहरी
और उतनीही काली...
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