आहटें सुनाई नहीं देती आजकल
इतने दबे पांवोंसे वोह
करीब आती है,
धुंधलाती नजरसे देखनेकी विफ़ल कोशिशे
फिरभी जारी रहती है
अंदर ही अंदर,
मैं आजभी मानना नहीं चाहती
अपनी हार, उसकी जीत
किसी भी हालातमें,
ऐ मेरी किस्मत मत भूल
मैं आजभी जिंदा हूं
और मेरी उम्मीदभी...
इतने दबे पांवोंसे वोह
करीब आती है,
धुंधलाती नजरसे देखनेकी विफ़ल कोशिशे
फिरभी जारी रहती है
अंदर ही अंदर,
मैं आजभी मानना नहीं चाहती
अपनी हार, उसकी जीत
किसी भी हालातमें,
ऐ मेरी किस्मत मत भूल
मैं आजभी जिंदा हूं
और मेरी उम्मीदभी...
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